मुर्शिदाबाद हिंसा पर चुप्पी और चाय की चुस्की: तृणमूल सांसद यूसुफ पठान की तस्वीर पर बीजेपी की तीखी प्रतिक्रिया
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बीच तृणमूल कांग्रेस सांसद और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान पर सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हो रही है। इसका कारण, हिंसा के दौरान उनकी एक इंस्टाग्राम पोस्ट, जिसमें वे चाय की चुस्कियों के साथ “शांत दोपहर” का लुत्फ उठाते नज़र आ रहे हैं।
पठान ने दो दिन पहले इंस्टाग्राम पर तीन तस्वीरें साझा की थीं, जिनके साथ उन्होंने लिखा, “आरामदायक दोपहरें, अच्छी चाय और शांत वातावरण। बस पल को महसूस कर रहा हूं।” इस पोस्ट के बाद कई यूज़र्स ने उन्हें आड़े हाथों लिया और पूछा कि जब मुर्शिदाबाद जल रहा है, तब वे कैसे इतने आराम से रह सकते हैं। एक यूज़र ने तीखा सवाल किया— “क्या आपको शर्म नहीं आती?”
बीजेपी और वामपंथी दलों के समर्थकों दोनों ने पठान की चुप्पी पर नाराज़गी जताई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “बंगाल जल रहा है। हाई कोर्ट ने भी आँखें मूँदने से इनकार करते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है। ममता बनर्जी इस तरह की राज्य प्रायोजित हिंसा को प्रोत्साहित कर रही हैं, और पुलिस मूक दर्शक बनी हुई है। इसी बीच सांसद यूसुफ पठान चाय की चुस्कियां ले रहे हैं और माहौल का लुत्फ उठा रहे हैं। यही है टीएमसी की सच्चाई।”
गौरतलब है कि यूसुफ पठान बहरामपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं, जो मुर्शिदाबाद जिले में आती है। हालांकि हिंसा प्रभावित क्षेत्र— सूटी, ढुलियन, और शमशेरगंज— सीधे उनके क्षेत्र में नहीं हैं, लेकिन वे पास के ही इलाके हैं और वहां से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इस कारण, उनकी निष्क्रियता और सोशल मीडिया पर मौज-मस्ती की तस्वीरों ने जन आक्रोश को जन्म दिया है।
मुर्शिदाबाद में शुक्रवार से जारी हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक पिता-पुत्र की निर्मम हत्या और एक युवक की गोली लगने से मौत शामिल है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने शनिवार को टिप्पणी की, “हम उन रिपोर्टों को नजरअंदाज नहीं कर सकते जो राज्य के कई जिलों में तोड़फोड़ और हिंसा को दिखा रही हैं।”
यूसुफ पठान ने अब तक इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इससे पहले, 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पांच बार के सांसद अधीर रंजन चौधरी को हराकर कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले बहरामपुर से जीत हासिल की थी। तब भी विपक्ष ने सवाल उठाया था कि गुजरात के वडोदरा में रहने वाले पठान को बंगाल में क्यों उतारा गया।
अब जब मुर्शिदाबाद में सांप्रदायिक तनाव चरम पर है और जनता अपने प्रतिनिधियों से जवाब मांग रही है, यूसुफ पठान की चुप्पी और ‘आरामदायक दोपहरें’ लोगों को खटक रही हैं।