तो माफी मिल गई नीतीश कुमार को !
निशिकांत ठाकुर
बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने सातवीं बार शपथ ग्रहण कर लिया। उन्हें बिहार जैसे राज्य को सजाने-संवारने के लिए वहां के मतदाताओं ने फिर से अवसर दिया है। वहीं, कुछ ऐसे नेताओं को जनता का स्नेह नहीं मिला, जिन्होंने हाल के दिनों में जनता के बीच सही मायने में सेवाकार्य किया। दुर्दशा ग्रस्त बिहार के मतदाताओं ने उस पप्पू यादव को माफ नहीं किया, जिन्होंने उत्तरी बिहार और यहां तक की पटना तक आकर पानी में डूब रहे लोगों को जीवनदान दिया। कोशी क्षेत्र में गांव गांव , घर घर जाकर लोगों को मरने से बचाया। उनकी हर तरह से मदद की। चाहे शारीरिक हो , मन से हो , धन से हो , पर उसके बावजूद मधेपुरा की जनता ने उन्हें माफ नहीं किया और वह वहां से लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव हार गए ।
वहीं, नीतीश कुमार जी को पंद्रह सौ दो हजार किलोमीटर जीते मरते घर पहुंचने वाले कामगार मजदूरों ने जो अपने जीवन की रक्षा के लिए बिहार अपने गांव लौटे थे , पर सरकार ने उन्हें अपने प्रदेश अपने घर में घुसने नहीं दिया। लेकिन , मतदाताओं ने नीतीश सरकार को माफ कर दिया , इस उम्मीद में कि हो सकता है इस बार नीतीश कुमार जी अपनी पिछली भूलों को सुधार लेंगे और उन्हें अपने घर में अपने परिवार के साथ रहने का अवसर और रोजगार मिलेगा, दो जून को रोटी मिलेगी ।
नए सरकार को और विशेष रूप से नीतीश जी को इस जीत पर बधाई और शुभकामनाएं। वैसे विपक्ष ने बड़ा गंभीर आरोप सरकार की जीत पर लगाया है । उनका दावा है कि 20 सीटों की गिनती में धांधली हुई है, इसलिए उन सीटों की गिनती फिर से कराई जानी चाहिए । आरोप तो बड़ा है, लेकिन देखना यह है कि क्या इसकी जांच होगी अथवा विपक्ष अदालत का दरवाजा खटखटाएगा। इसके बावजूद नीतीश जी अपना मंत्रिमंडल बना रहे हैं और जनता के विश्वास पर खरा उतरने का प्रयास कर रहे हैं । देखना यह है कि इस पंचवर्षीय काल में बिहार का क्या और कितना विकास होगा? सवाल यह भी है कि विकास केवल मगध का ही होगा या इस बार पूरे बिहार की ओर पाटलिपुत्र की ओर से योजनाओं की रोशनी दिखाई पड़ेगी ? कितनों को रोजगार मिलेगा जिससे उन्हें अन्य राज्यों में जाकर दो जून की रोटी के लिए दर दर भटकना और अपमानित न होना पड़े।
केंद्रीय रक्षामंत्री और भाजपा के वरिष्ठतम नेता राजनाथ सिंह को भी इस बात के लिए बधाई की बिहार में भाजपा की गंदगी को मंत्रिमंडल से निकलकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। भाजपा को ऐसे व्यक्ति ने काफी नुकसान पहुंचाया है । यहां बात हो रही है वर्षो तक भाजपा के लिए पेड़ में लगे घुन की तरह चाटते रहने और उसे खोखला करते रहने वाले पूर्व उप मुख्यमंत्री की । मैं बात कर रहा हूं पूर्ववर्ती नीतीश कुमार सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी की । जब बिहार में कोई आपदा आए वह राज्य से बाहर हो जाते थे और जब स्थिति सुधार जाती थी फिर प्रकट होकर अपना प्रवचन दिया करते थे। उल जुलुल बयान देते हैं। उदाहरण के लिए जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाया गया था, तो उन्होंने बयान दिया अब बिहार के लोग वहां भी रोजगार पा सकेंगे।

हो सकता है, वह चलती सरकार में कोई गड़बड़ी न पैदा कर दें। बिहार की राजनीति से पूरी तरह जानकर होने के कारण कभी इन समस्याओं से भाजपा और नीतीश कुमार की सरकार को एक दो होना पड़ सकता है । क्योंकि अब वह पदच्युत हो चुके हैं, इसलिए वे तरह तरह के षडयंत्र रचते रहेंगे। इसलिए नीतीश सरकार को इन षड्यंत्रों से सावधान रहने की जरूरत है।
कई नए चेहरों के साथ इस बार बिहार मंत्रिमंडल का गठन किया गया है। इसमें कई नए और उत्साही, पढ़े लिखे व्यक्तियों को अवसर देकर ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार जी अपनी पिछली भूल चूक को सुधारने के लिए कटिबद्ध हैं। बिहार की जो सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी – भूख और बाढ़ । बेरोजगारी के लिए तो सरकार ने पहले ही अपने घोषणा पत्र में 19 लाख बेरोजगारों को रोजगार देने का वायदा किया है । इसे पूरा करने के लिए निश्चित रूप से ब्लू प्रिंट तैयार किया ही गया होगा । लेकिन, जो बात सामने नजर पर एक आम आदमी को दिखाई दे रहा है वह यह कि जितने भी चीनी मिलें और कागज मिलें है उन्हें नए रूप में शुरू करना ।
खैर, जो भी हो नीतीश कुमार जी को जनता ने एक अवसर फिर दिया है यदि इसका लाभ वह जानता को नहीं दे सकेंगे, तो इससे बड़ा छल बिहार के मतदाताओं के लिए और कुछ नहीं होगा । ध्यान देने की बात यह है कि जानता जो कुर्सी देती है यदि उसके मन माफिक कुर्सी पाने के बाद नेतागण नहीं कर पाते है तो उसे पलटने में देर नहीं लगती । सरकार के सामने बहुत चुनौती है, लेकिन नीतीश कुमार एक मजे हुए राजनीति हैं , उनमें राज्य को कुशल नेतृत्व देने की क्षमता है । यदि वह निश्चय कर ले तो केंद्रीय सत्ता उनके साथ है , स्वयं प्रधानमंत्री उनकी सराहना कर चुके है इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि सच में काम करने और रोटी देने का पक्का निश्चय हो तो वह दिन दूर नहीं जब वहां रोजगार और विकास की बयार बहेगी और वहां के पढ़े लिखे अथवा कामगारों को दर दर भटकना नहीं पड़ेगा । नई सरकार से जानता को ढेरों आशाएं है इसलिए पहले ही दिन से सरकार को काम काज पर ध्यान देना ही होगा ।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा राजनीतिक विश्लेषक हैं। )