सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी किया
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: मनीष सिसोदिया के वकील ने दलील दी कि दिल्ली के पूर्व मंत्री 16 महीने से जेल में हैं और उन्हें लंबे समय तक जेल में रहने के कारण जमानत मिलनी चाहिए।
दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ्तारी के संबंध में आप नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई और ईडी से जवाब मांगा।
सिसोदिया ने सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में अपनी जमानत याचिकाओं को पुनर्जीवित करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान सिसोदिया के वकील ने दलील दी कि दिल्ली के पूर्व मंत्री 16 महीने से जेल में हैं और उन्हें लंबे समय तक जेल में रहने के कारण जमानत मिलनी चाहिए।
सिसोदिया को सीबीआई ने आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार मामले में 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था। ईडी ने उन्हें 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। उन्होंने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
11 जुलाई को जस्टिस संजय कुमार ने सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। मामले की सुनवाई मंगलवार को जस्टिस बीआर गवई, संजय करोल और केवी विश्वनाथन की नई बेंच ने की।
4 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। जमानत खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि सिसोदिया ईडी और सीबीआई द्वारा क्रमशः मामलों में अपनी अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दाखिल करने के बाद जमानत के लिए अपनी याचिकाओं को फिर से शुरू कर सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि थोक शराब डीलरों को 338 करोड़ रुपये के “अप्रत्याशित लाभ” के आरोप को सबूतों द्वारा “अस्थायी रूप से समर्थित” किया गया था।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आप नेता को परिस्थितियों में बदलाव होने पर राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की छूट दी है।
सोमवार को दिल्ली की एक अदालत ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 22 जुलाई तक बढ़ा दी।