सांसदों और विधायकों के विशेषाधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक मील का पत्थर: रीना एन सिंह
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना एन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए सांसदों और विधायकों से संबंधित फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जब सांसद और विधायक भ्रष्टाचार में लिप्त होगे तो भारत का संसदीय लोकतंत्र कमजोर होगा।
उच्चतम न्यायालय की सात जजों की बेंच ने सांसदों और विधायकों के विशेषाधिकार से जुड़े केस में एक अभिन्न निर्णय दिया है । अदालत के अनुसार संसद या विधान मंडल में पैसे लेकर भाषण या वोट देना अपराध माना जाएगा। देश के मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि जब विशेषाधिकारों की बात की जाती है तो यह समझा जाना चाहिए कि ये विशेषाधिकार किसी एक व्यक्ति या सदस्य को न देकर सामूहिक रूप से पूरे सदन को दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 सदस्यों के लिए एक भय मुक्त वातावरण बनाने के लिए है। परंतु कहीं-कहीं इसका दुरुपयोग भी होता है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने फैसला सुनाया।
एक टीवी चैनल पर एडवोकेट रीना एन सिंह ने कहाकि इस फैसले का असर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सीता सोरेन पर पड़ेगा,उन्होंने विधायक रहते रिश्वत लेकर 2012 के राज्यसभा चुनाव में वोट डालने के मामले में राहत मांगी थी,उन्होंने बताया कि सांसदों को अनुच्छेद 105(2) और विधायकों को 194(2) के तहत सदन के अंदर की गतिविधि के लिए मुकदमे से छूट हासिल है।
हालांकि, अब कोर्ट ने साफ किया कि रिश्वत लेने के मामले में यह छूट नहीं मिल सकती है। लोकतंत्र की मजबूती और पारदर्शिता के लिए अदालत की इस कदम की सराहना की जानी चाहिए ।
रीना एन सिंह ने कहा कि सात सदस्यीय बेंच का फैसला न्यायिक इतिहास में एक मील के पत्थर के रूप में याद किया जाएगा।