पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन की अपार क्षमता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए: उपराष्ट्रपति
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने पूर्वोत्तर राज्यों की अपार पर्यटन क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने का आज आह्वान किया और इस क्षेत्र में हवाई संपर्क को बेहतर बनाने की आवश्यकता को रेखांकित भी किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि, यदि यहां पर पर्यटन की संभावनाओं का पूरी तरह से लाभ उठाया गया तो पारिस्थितिकी पर्यटन (ईको-टूरिज्म) और सांस्कृतिक पर्यटन पूर्वोत्तर में विकास का मुख्य आधार बन सकता है।
संपर्क सुविधा और पर्यटन अवसंरचना बेहतर करने में केंद्र तथा राज्य सरकारों के प्रयासों का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि, इस क्षेत्र के लिए हवाई यातायात में सुधार करने से यहां घूमने आने वाले पर्यटकों की संख्या पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
यह बताते हुए कि, भारत से हर वर्ष क़रीब 2 करोड़ 60 लाख पर्यटक बाहर के देशों में जाते हैं, उपराष्ट्रपति ने कहा कि, हम यह मान सकते हैं कि, ऐसे भारतीय पर्यटकों में से ज्यादातर लोग कोविड-19 के बाद के समय में ‘स्थानीय यात्राएं’ करना अधिक पसंद करेंगे। श्री नायडू ने कहा कि, ऐसे में पूर्वोत्तर राज्यों के पास इस समय घरेलू दर्शकों के लिए अपने पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने का यह एक बड़ा महत्वपूर्ण अवसर है।
राज्य और केंद्र सरकारों से पूर्वोत्तर क्षेत्र की पर्यटन क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने का आग्रह करते हुए, उपराष्ट्रपति ने उन्हें पूर्वोत्तर की यात्रा को प्रोत्साहित करने की संभावना पर विचार करने का सुझाव दिया।
मिज़ोरम के राज्यपाल श्री पी.एस. श्रीधरन पिल्लई द्वारा लिखित पुस्तक ‘ओह मिज़ोरम’ का वर्चुअल माध्यम से विमोचन करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इसकी प्राचीन प्राकृतिक सुंदरता के लिए इस क्षेत्र की प्रशंसा की और कहा कि, मिज़ोरम के रंग – बिरंगे त्यौहार, लोक संगीत और ऊर्जावान नृत्य मिज़ो समाज को वास्तव में अद्वितीय बनाते हैं। अक्सर उन्हें “पूरब का गीत गाने वाले पक्षी” कहा जाता है, कुदरत ने मिज़ो लोगों को संगीत के लिए एक प्राकृतिक प्रतिभा का आशीर्वाद प्रदान किया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि, समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र में 220 से अधिक जातीय समूहों और बोलियों की एक समान संख्या के साथ विविध भारतीय संस्कृतियों का एक मोहक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
‘मधुमेह’ पर एक कविता का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि, बड़ी संख्या में भारतीय लोग भाग-दौड़ भरे जीवन में गतिहीन जीवन शैली और अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतों से सबंधित बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे की चपेट में हैं।
श्री नायडू ने कहा कि, इस संबंध में पूर्वोत्तर के लोग, जो प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्वक रहते हैं और प्राकृतिक आहार का उपयोग करते हैं, वे सभी स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में शेष भारत का मार्गदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने खुशी जताई कि, पूर्वोत्तर भारत जैविक खेती में बहुत तेज़ी से पथ-प्रदर्शक की तरह आगे बढ़ रहा है। उपराष्ट्रपति ने इस संबंध में सिक्किम राज्य का उदाहरण दिया। जो वर्ष 2016 में भारत का पहला जैविक राज्य बन चुका है।
उपराष्ट्रपति ने साक्षरता की दर (91 प्रतिशत से अधिक) और बाल लिंगानुपात में महत्वपूर्ण सामाजिक उपलब्धि को दर्ज करने के लिए मिज़ोरम के लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि, 2011 की जनगणना के अनुसार मिज़ोरम में 1000 पुरुषों के मुकाबले 971 महिलाओं के साथ उच्चतम बाल लिंग अनुपात है।
इस समारोह में मिज़ोरम के राज्यपाल माननीय श्री पी.एस. श्रीधरन पिल्लई, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में माननीय राज्य मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।