इस भीषण महामारी के दौर में संघ एक बार फिर बना संकट मोचक

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कृष्णमोहन झा
देश के अनेक राज्य इस समय एक बार फिर भीषण करोना संकट के दौर से गुजर रहे हैं । देश में प्रतिदिन कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 3:30 लाख से ऊपर पहुंच गया है, जो विश्व के किसी भी देश से सर्वाधिक है। ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और चिकित्सक अनुपलब्धता के चलते लाखों लोग असमय ही काल के ग्रास बन चुके हैं। सरकारी व्यवस्थाएं स्वयं वेंटिलेटर पर पहुंच चुकी है, अस्पतालों में मरीजों के लिए बिस्तर नहीं है, जिन अस्पतालों में बिस्तर है वहां ऑक्सीजन नहीं है, ऑक्सीजन हैं तो वेंटिलेटर नहीं है।

कोरोना से बचाव में उपयोग में आने वाले इंजेक्शन और दवाओं का टोटा हो गया है। इसके अतिरिक्त इन दवाइयों की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। करोना पीड़ित के परिजन अपने सामने अपने परिवार के अति प्रिय व्यक्ति को काल के  गाल में मूकदर्शक बने समाते देख रहे हैं।  केंद्र सरकार ने सारा कुछ राज्य सरकारों के भरोसे छोड़ दिया है ।सालभर के अंदर हम दूसरी बार कोरोना के प्रकोप का सामना कर रहे हैं और अब लोगों को वही संयम और सावधानी बरतने के लिए जागरूक करने की आवश्यकता है जिसके बल पर गत वर्ष हमने भयावह कोरोना संकट पर विजय हासिल की थी। ऐसे विकट समय में एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लोगों की आशा का किरण बनकर सामने आया है। संघ से जुड़े विभिन्न संगठनों ने सेवा कार्य प्रारंभ कर दिए हैं.

इंदौर , भोपाल, लखनऊ, अहमदाबाद, दिल्ली, सूरत, जयपुर और अनेक जगहों पर स्वयंसेवकों ने मोर्चा संभाल लिया है। हजारों बिस्तर के कोरनटाइन सेन्टर खोलकर मरीजों को तात्कालिक राहत प्रदान की है। साथ  ही एक स्वच्छ माहौल जिसमें योग प्राणायाम और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक जीवन शैली की सीख भी स्वयंसेवक करुणा पीड़ितों को दे रहे हैं। एक तरफ जहां सरकार व्यवस्थाओं की नाकामियों के लिए एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं वही संघ के पदाधिकारी और कार्यकर्ता कितनी जल्द से जल्द व्यवस्था हो सके इस बात पर जुटे हुए हैं।

संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने दिल्ली में दिए अपने वक्तव्य में कहा कि कोविड महामारी का संक्रमण एक बार पुनः भयानक चुनौती बनकर देश के सम्मुख खड़ा हुआ है। महामारी की संक्रामकता एवं भीषणता इस बार पहले से भी अधिक गम्भीर है। इसकी क्रूरतापूर्ण मार आज देश के अधिकांश भागों को झेलनी पड़ रही है। बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होकर अस्पताल में दाख़िल हो रहे हैं।

सैकड़ों परिवारों ने अपने प्रियजनों को भी खोया है। इस आपदा में संत्रस्त सभी देशवासियों के प्रति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी संवेदनाएँ व्यक्त करता है।परिस्थिति विकट है, पर समाज की शक्ति भी कम नहीं होती। विषमतम संकटों से जूझने की हमारी क्षमता जगविदित है। हमारा विश्वास है कि धैर्य और मनोबल बनाए रखते हुए संयम, अनुशासन एवं परस्पर सहयोग के द्वारा हम इस भीषण परिस्थिति में भी अवश्य विजयी होंगे। महामारी के अचानक विकराल रूप लेने से अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन या दवा जैसे आवश्यक संसाधनों की कमी के कारण कष्टों का सामना करना पड़ रहा है। भारत जैसे विशाल देश में समस्या का स्वरूप भी वृहदाकार ले लेता है। केंद्र व राज्य के शासन और प्रशासन तथा स्थानीय निकायों द्वारा समस्या के निराकरण हेतु व्यापक प्रयास हो रहे हैं ।

चिकित्सा क्षेत्र के सभी बंधु-भगिनी, सुरक्षा एवं स्वच्छताकर्मी पहले की तरह जान हथेली पर रखकर तत्परता से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता हमेशा की भाँति देश भर में विभिन्न प्रकार के सेवा कार्यों में सक्रिय हैं। अनेक धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं के साथ सामान्य समाज भी स्वप्रेरणा से चुनौती की गम्भीरता को समझ कर सभी प्रकार के प्रयासों में जुट गया है। यह भी सम्भव है कि समाज विघातक एवं भारत विरोधी शक्तियाँ इस गंभीर परिस्थिति का लाभ उठाकर देश में नकारात्मकता एवं अविश्वास का वातावरण खड़ा कर सकती हैं। देशवासियों को अपने सकारात्मक प्रयासों के साथ इन शक्तियों के षड्यंत्रों के प्रति भी सजग रहना होगा।

संघ के सरकार्यवाह ने कार्यकर्ताओं को सेवा के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि स्वयंसेवकों सहित समाज के सभी सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों तथा सेवा संस्थाओं, उद्योगों एवं व्यावसायिक संस्थानों आदि क्षेत्रों के बंधुओं से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता है कि समस्या के निराकरण हेतु तत्परता एवं सेवाभाव से जुट कर किसी भी प्रकार के अभाव को दूर करने का हर संभव प्रयास करें। वर्तमान परिस्थिति को दृष्टिगत रखते हुए कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य तथा अनुशासन संबंधी नियमों का सभी पालन करें। सेवा में लगे लोग स्वयं को भी सुरक्षित रखें। मास्क पहनना, स्वच्छता, शारीरिक दूरी, निजी तथा सार्वजनिक कार्यक्रमों में संख्या की सीमा, कर्फ़्यू पालन जैसे नियम-अनुशासन एवं आयुर्वेदिक काढ़ा सेवन, भाप लेना, टीकाकरण जैसे स्वास्थ्य के विषयों के बारे में व्यापक जनजागरण करें। अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलें।

उन्होंने देशवासियों से अनुरोध करते हुए कहा कि स्थानीय स्तर पर स्वयं होकर सामूहिक निर्णय के द्वारा दैनन्दिन गतिविधियों को नियंत्रित करें। सभी स्तरों पर शासन-प्रशासन, चिकित्सकों, चिकित्सा कर्मियों, सुरक्षा एवं स्वच्छता कर्मियों के साथ पूर्ण सहयोग करें। श्री होसबोले ने मीडिया के साथियों एवं अन्य प्रचार माध्यमों से जुड़े लोगों से भी आग्रह किया है कि  समाज में सकारात्मकता, आशा और विश्वास का वातावरण बनाए रखने में अपना योगदान दें।सोशल मीडिया में सक्रिय लोग विशेष संयम व सजगता के साथ सकारात्मक भूमिका निभाएँ।
संघ के सरकार्यवाह के इस संबोधन ने सर संघ चालक मोहन भागवत के उस संदेश की याद दिला दी है जो गत वर्ष मई माह में उन्होंने देशव्यापी लाक डाउन के दौरान  वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संघ के स्वयंसेवकों को दिया था।

सरसंघचालक उस समय अपने संदेश में भले ही स्वयं सेवकों को संबोधित कर रहे थे परन्तु वह संदेश सभी देशवासियों के लिए उपादेय था। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अब जबकि देश के अनेक राज्यों में कोरोनाकी दूसरी लहर ने देश को अपनी चपेट में ले लिया है तब सरसंघचालक के उस संदेश से प्रेरणा लेकर उसमें दी गई सलाह पर अमल करने की आवश्यकता है। संघ के नए सरकार्यवाह ने गत दिनों लखनऊ में संघ द्वारा आयोजित होलिकोत्सव कार्यक्रम में भी सारगर्भित उद्बोधन दिया था वह भी कोरोना के बढ़ते खतरे का सफलता पूर्वक  सामना करने के लिए लोगों को जागरूक और सतर्क  होने की प्रेरणा देता है।

उल्लेखनीय है कि अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं के उद्भट विद्वान दत्तात्रेय होसबोले की सहज सरल भाषा में संवाद अदायगी का जो गुण उन्हें ईश्वर से वरदान स्वरूप मिला हुआ है वह संघ प्रमुख मोहन भागवत की भांति ही सबके साथ सहज ही उनका तादात्म्य स्थापित कर देता है और उनके द्वारा व्यक्त उदगार सीधे लोगों के दिलों में उतर जाते हैं। देश में कोरोना की दूसरी लहर के इस कठिन समय में दत्तात्रेय होसबोले के सारगर्भित उद्बोधन का विशेष महत्व है।

सरकार्यवाह ने अपने संबोधन की शुरुआत में देश के चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों, सफाई कर्मियों सहित समाज के विभिन्न वर्गों के उन सभी समर्पित सेवाभावी लोगों को नमन किया जो अपनी जान जोखिम डाल कर अपने पुनीत कर्तव्य के पालन में जुटे रहे। इस अवसर पर उन्होंने देश‌की सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों, वैज्ञानिकों और किसानों की अमूल्य सेवाओं के लिए’ जय जवान, जय किसान ,जय विज्ञान’नारे के साथ उनके प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त की। सरकार्यवाह ने कोरोना संकट के दौरान समाज के गरीब और कमजोर तबके की मदद हेतु संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किए गए सेवा कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कोरोना काल में सेवा सहकारी और समन्वय की अद्भुत मिसाल कायम की। विशाल संघ परिवार में दत्ताजी के नाम से लोकप्रिय नवनिर्वाचित सरकार्यवाह ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि देश अभी कोरोना संकट से जूझ रहा है इसलिए हमें पहले की भांति ही आगे भी सजग और सतर्क रहने ‌की आवश्यकता है। कोरोना से बचाव के लिए जो गाइड लाइन निर्धारित की गई हैं हमें उनका पूरी तरह पालन करना चाहिए। कठिन चुनौती के समय भी धैर्य न खोते हुए संतुलन बनाए रखना ही भारतीय संस्कृति की विशेषता है।

उल्लेखनीय है कि दत्तात्रेय होसबोले ने गत दिनों बंगलुरू में संपन्न राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में सर्वसम्मति से सरकार्यवाह निर्वाचित होने के बाद अपनी प्रथम पत्रकार वार्ता में  भी कोरोना संकट का विशेष उल्लेख किया था । उन्होंने कहा था कि लाक डाउन के  दौरान संघ के स्वयंसेवक अन्य सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर समाज के गरीब और कमजोर तबके के लोगों को हरसंभव सहायता पहुंचाने के काम में जुटे रहे। भारतीय समाज ने इस अनपेक्षित घटनाक्रम के दौरान सेवा , आत्मीयता और सामाजिक एकजुटता की एक नई गाथा रची।

संघ की बैठक में कोरोना संकट काल में जरूरतमंदों की मदद के पुनीत अभियान में अपना निस्वार्थ योगदान करने वाले समाज के सभी वर्गों के प्रति साधुवाद व्यक्त किया गया। उक्त बैठक में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया गया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौती के संदर्भ में भारतीय समाज के समन्वित और समग्र प्रयासों को संज्ञान में लेते हुए तथा उसके भीषण परिणामों के नियंत्रण हेतु समाज के प्रत्येक वर्ग के द्वारा निभाई गई भूमिका के लिए संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा उसका हार्दिक अभिनन्दन करती है। जिन ‌कोरोना योद्धाओं ने कर्तव्य पालन करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की गई थी। कोरोना संक्रमण के कारण काल  का शिकार बने हजारों लोगों को संघ की बैठक में श्रद्धासुमन अर्पित किए गए थे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्र के नाम अपने संबोधनों में हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया था कि हमें एक ओर जहां साहस पूर्वक कोरोना के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखना है वहीं दूसरी ओर  इस आपदा को अवसर में बदलने ‌की दिशा में निरंतर आगे बढ़ना है।

सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी गत वर्ष मई में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए ‌प्रधानमंत्री के इस आहृवान का समर्थन किया था।इसी संदर्भ में संघ प्रमुख ने स्वदेशी की अवधारणा को अपने आचरण में उतारने की आवश्यकता प्रतिपादित की थी। इस वैश्विक संकट में हमने अपनी वसुधैव कुटुंबकम् की प्राचीन परंपरा का निर्वाह करते हुए शुरू में आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति की फिर वैक्सीन मैत्री अभियान के माध्यम से विश्व में सहयोग का हाथ बढ़ाया। इस वैश्विक महामारी में हमें समग्र वैश्विक दृष्टि, सदियों से चली आ रही परंपराओं और विकेंद्रित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की शक्ति और सामर्थ्य की अनुभूति भी हुई है।कोरोना काल में  दुनिया के अनेक विशेषज्ञों ने भारत की एकात्म दृष्टि और उस पर आधारित दैनंदिन जीवन पद्धति के महत्व को स्वीकार किया है।

संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने जो विचार कोरोना संकट के संदर्भ में व्यक्त किए हैं उनमें इस दृढ़ विश्वास की गूंज स्पष्ट सुनी जा सकती है कि भारतीय समाज अपने अटूट विश्वास और दृढ़ता के साथ कोरोना की कठिन चुनौती का सामना करते हुए उस पर विजय प्राप्त करेगा परंतु इसके साथ ही हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना का खतरा अभी गंभीर है इसलिए सभी सुरक्षात्मक उपायों को अपने आचरण में उतारते हुए ही हमें अपने आपको और परिवार को बचाते हुए सेवा कार्य जारी रखना है। ऐसे समय जब चारों तरफ ना उम्मीदों के   परिजनों को बड़ी शक्ति प्रदान की है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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