भारत के लिए विश्व का नेतृत्व करने का समय आ गया है: डॉ. इंद्रेश कुमार

The time has come for India to lead the world: Dr. Indresh Kumarचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: हिमालय हिंद महासागर राष्ट्र समूह, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय), हिमालयन स्टडीज़, और नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट रिज़ॉल्यूशन (जामिया मिल्लिया इस्लामिया) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का सफलतापूर्वक समापन हो गया।

समापन सत्र में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के मुख्य संरक्षक डॉ. इंद्रेश कुमार, मुख्य अतिथि केन्द्र सरकार के पूर्व राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह, कालोन ग्यारी दोल्मा (सुरक्षा विभाग, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन), एर्नी वाहुनी (द्वितीय सचिव, सामाजिक और सांस्कृतिक मामले, इंडोनेशिया गणराज्य) और विशिष्ट अतिथि के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार पद्म भूषण राम बहादुर राय शामिल हुए।

समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. शाहिद अख्तर, सदस्य, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग, भारत सरकार ने की। डीयू के डीन ऑफ़ वर्क्स प्रो बीडब्ल्यू पांडे ने स्वागत भाषण दिए। जबकि समापन टिप्पणी का दायित्व सरदार जसबीर सिंह ने निभाया।

सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के मुख्य संरक्षक और आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत दुनिया का नेतृत्व करे। महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी जाति, धर्म और समुदाय के लोग मानते हैं कि विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता भारत में है। हिंदुस्तान कभी किसी की सलाह से नहीं चला, बल्कि हमारे बुजुर्गों ने पहले से ही हमें सभी प्रकार से ज्ञानवर्धक बनाया है। एक समय ऐसा आएगा जब परिवर्तन स्पष्ट दिखने लगेगा। डॉ इन्द्रेश कुमार ने कहा कि अविश्वास किसी भी राष्ट्र के जीवन का अपराध है और विश्वास के माध्यम से ही राष्ट्र को जोड़ा जा सकता है। भारत संहार में नहीं, बल्कि उद्धार (कल्याण) में विश्वास करने वाला राष्ट्र है। 2047 का भारत विकसित भारत के रूप में उभरेगा।

पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि भारत अपने एशियाई देशों के साथ मिलकर आतंकवाद को समाप्त करने का कार्य कर रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से फल-फूल रही है और भारत सभी को साथ लेकर चलने वाला देश है।

कालोन ग्यारी दोल्मा (सुरक्षा विभाग, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन) ने अपने संबोधन में कहा कि भारत हमारे लिए घर की तरह है। सभी एशियाई देशों से मैं कहना चाहूंगी कि भारत के जैसा कोई नहीं है। भारत सभी के हित के लिए काम करने वाला देश है। यही कारण है कि सभी देश भारत की ओर आशा भरी नजरों से देखते हैं और मैं कहना चाहूंगी कि भारत पर हर स्थिति में विश्वास किया जा सकता है।

वरिष्ठ पत्रकार पदम भूषण राम बहादुर राय अपने संबोधन में कहा कि इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजक श्री गोलोक बिहारी जी ने अद्वितीय कार्य किया है। एशियाई देशों पर चर्चा, विचार-विमर्श, सहयोग, सहभागिता जैसे मुद्दे पर कभी भी देश में गंभीर चर्चा नहीं हुई। गोलोक बिहारी जी ने बहुत बड़ा बीड़ा उठाया है। मैं चाहता हूं कि इसको और विस्तार दिया जाए।

श्री राम बहादुर राय ने जवाहरलाल नेहरू और शीला दीक्षित के प्रयास की चर्चा करते हुए कहा कि इन लोगों ने कोशिश की थी लेकिन इसके सार्थक परिणाम नहीं आए। श्री राय ने कहा कि भारत से जो रोशनी पैदा होती है, वह विश्व के अंधकार को मिटाने की क्षमता रखती है। यह सम्मेलन एशियाई देशों को मजबूती से खड़ा करने का कार्य करेगा। दुनिया मानती है कि वर्तमान सदी एशिया की सदी है और इसका नेतृत्व भारत के हाथों में होगा।

स्वागत संबोधन के दौरान प्रो. बी.डब्ल्यू. पांडे ने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय ज्ञान परंपरा का जिस तरह मंथन किया गया, वह सभी के लिए कारगर साबित होगा। भारत के लिए गर्व की बात है कि भारत में आकर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति कहते हैं कि उनका डीएनए भारतीय है। भारत विविधता में एकता को समेटे हुए है।

प्रो. डॉ. शाहिद अख्तर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि भारतीय संस्कृति को सभी माध्यमों से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इस तरह के सम्मेलनों से भारत और हिमालयन हिंद महासमूह के देशों को और भी मजबूत बनाया जा सकता है। प्रो. शाहिद अख्तर ने कहा कि डॉ इन्द्रेश कुमार जी के संरक्षण में एशियाई देशों को जोड़ने के प्रयास में तेज़ी आई है इसलिए मैं आयोजकों को उनकी कोशिश के लिए साधूवाद देता हूं।

दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉंफ्रेंस की विस्तृत जानकारी देते हुए सरदार जसबीर सिंह ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत धन्य है। जब हम संस्कृति की रक्षा करेंगे, तभी संस्कृति की सुरक्षा संभव है। भारत एक ऐसा देश है, जहां विदेशी यात्रा करने वाले यात्री नहीं बल्कि खुद को तीर्थयात्री महसूस करते हैं।

दूसरे दिन के सत्रों में अतिथि मा. जनरल वेटोप नामग्याल (राजदूत, भूटान), कोय कुओंग (राजदूत, कंबोडिया), जॉन बोइटे सी. सैंटोस (राजदूत, फिलीपींस), ईना हागनिनिंगत्यास (राजदूत, इंडोनेशिया), डॉ. शंकर पी. शर्मा (राजदूत, नेपाल) शामिल हुए। प्रो. रमा (प्राचार्य, हंसराज कॉलेज, डीयू), प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी (रजिस्ट्रार, जेएमआई), प्रो. विजय रानी राजपाल (उप-प्राचार्य, हंसराज कॉलेज, डीयू), डॉ. शैलू सिंह (अर्थशास्त्र विभाग, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय), सरदार जसबीर सिंह (राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, FANS), डॉ. इमरान चौधरी, डॉ. रितेश राय, डॉ. विजय कुमार, श्री विक्रमादित्य सिंह, जनरल आर.एन. सिंह आदि अहम विद्वानों ने अलग-अलग सत्र को संबोधित किया। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन 4 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें विश्वभर से आए लगभग 25 शिक्षाविदों ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

सत्र -1 का विषय ‘भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच आर्थिक संबंध’ रहा। इसकी अध्यक्षता प्रो. रविंद्र कुमार (जामिया मिल्लिया इस्लामिया) ने की और संचालन डॉ. पवन कुमार द्वारा किया गया। इस सत्र में डॉ. अनमोल मुखिया, डॉ. श्रीपथी नारायणन और डॉ. बिश्वजीत लोइतोंगबम ने व्यापार और निवेश के नए अवसरों पर चर्चा की।

सत्र -2 का विषय ‘भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया – उभरते रुझान’ रहा। इसकी अध्यक्षता डॉ. आर्य भूषण शुक्ल , आईसीएएस अध्यक्ष ने की और संचालन डॉ. सत्य प्रकाश ने किया। इस सत्र में डाटो कुमारन संथीवलु, डॉ. श्रीपर्णा पाठक और सुश्री अमृता करम्बेलकर ने रणनीतिक गठजोड़ और कूटनीतिक पहलुओं पर प्रकाश डाला।

सत्र -3 का विषय ‘भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया – सुरक्षा सहयोग’ रहा। इसकी अध्यक्षता प्रो. शकील हुसैन ने की और संचालन एसपीएम कॉलेज की डॉ. आमना मिर्ज़ा ने किया। इस सत्र के दौरान प्रो. वो जुआन विन्ह (वियतनाम), डॉ. ऋषि गुप्ता और प्रो. जोएफ बी. संतरिता (फिलीपींस) ने क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे पर गहन चर्चा की।

सत्र -4 का विषय ‘भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया – चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ रहा। इसकी अध्यक्षता इग्नू के प्रो. अरविंद कुमार झा ने की, और डॉ. धनवंती यादव संयोजक के तौर पर शामिल हुईं। इस सत्र के दौरान डॉ. अंशुमान बेहरा, डॉ. बिश्वजीत महापात्र और डॉ. दीप्ति सिंह ने राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।

समापन समारोह में प्रो. डॉ. विजय कुमार (गलगोटियास विश्वविद्यालय) ने सभी आयोजकों, वक्ताओं तथा प्रतिभागियों को उनके अमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद दिया। 5वां एचएचआरएस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 2025 महत्वपूर्ण निष्कर्षों और भारत-दक्षिण-पूर्व एशिया सहयोग के भविष्य के रोडमैप के साथ संपन्न हुआ।

इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में गोलोक बिहारी राय, जामिया के वीसी प्रो मज़हर आसिफ, वीरेन्द्र कुमार चौधरी, अरुण कुमार, राजेश महाजन, प्रो. राधेश्याम शर्मा, प्रो. एन.पी. दीक्षित, प्रो. गुरमीत सिंह, प्रो. भागीरथी सिंह, मयंक शेखर, जेएनयू की सूश्री पूजा समेत बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, शिक्षाविद, पत्रकार और शोधार्थी उपस्थित थे।

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