केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर संविधान में बार-बार संशोधन करने का आरोप लगाया
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: सोमवार को राज्यसभा में संविधान पर बहस की शुरुआत करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने नागरिक स्वतंत्रताओं को सीमित करने और अपने राजनीतिक लाभ के लिए संविधान में बार-बार संशोधन किया। वित्त मंत्री ने कहा, “पिछले सात दशकों में हमारे संविधान में कई संशोधन हुए हैं, जिनका उद्देश्य स्वतंत्रता को सीमित करना था।”
सीतारमण ने 1950 में पहले संविधान संशोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए लाया गया था। उन्होंने बताया कि उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) द्वारा लाया गया यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ था, जिसमें कम्युनिस्ट पत्रिका “क्रॉस रोड्स” और आरएसएस की पत्रिका “ऑर्गनाइजर” के पक्ष में निर्णय दिया गया था।
वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि यह पहला संशोधन प्रेस की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाने के लिए था और यह आज भी मीडिया की स्वतंत्रता को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे संसद से पहले खुद से जांचा था, जबकि संसद में इस पर बहस सुचारू नहीं रही।
सीतारमण ने संविधान संशोधनों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने के चार मानदंड बताए—क्या संशोधन वास्तविक थे, उनके परिणाम क्या थे, अपनाई गई प्रक्रिया क्या थी और क्या यह संविधान की भावना का पालन करता था।
उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस पार्टी हमेशा न्यायिक प्रणाली पर टिप्पणियां करती है, लेकिन अतीत में खुद इसने न्यायपालिका को कमजोर करने के लिए कई संशोधन किए हैं।” उन्होंने उदाहरण दिया, जैसे 1975 में आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण मामले में न्यायिक फैसलों को निष्प्रभावी करने के लिए संशोधन पेश किए गए थे।
वित्त मंत्री ने कहा, “आज हम संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। यह समय है कि हम भारतीय संविधान और इसके सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं, जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है।”
सीतारमण ने इस अवसर पर भारत के संविधान की स्थिरता और इसके प्रति भारतीयों की प्रतिबद्धता की सराहना की और इसे एक पवित्र दस्तावेज बताया, जो अपने उद्देश्य को पूरा करता है, भले ही इसमें कई संशोधन किए गए हों।