उपराष्ट्रपति ने सीएसआईआर से उच्चतम कोटि के विज्ञान को आगे बढ़ाने को कहा

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति, श्री एम वेंकैया नायडू ने आज वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) को उच्चतम कोटि के विज्ञान का अनुसरण करते हुए स्वयम को फिर से खोजने और भविष्यवादी बनने की सलाह दी।

आज रविवार को यहां नई दिल्ली में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के 80वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं और संस्थानों को उन चुनौतियों का समाधान करना चाहिए जिनके लिए दीर्घकालिक वैज्ञानिक और तकनीकी समाधान की आवश्यकता होती है। विशेष रूप से यह श्री नायडू चाहते थे कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद कृषि अनुसंधान पर अधिक ध्यान दे और किसानों के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए नए नवाचारों, तकनीकों और समाधानों के साथ आए। उन्होंने इन चुनौतियों में से जलवायु परिवर्तन, औषधि में प्रतिरोधक बाधा, प्रदूषण, महामारी और वैश्विक महामारी के प्रकोप का उल्लेख किया वाला दिया जिन पर वैज्ञानिक समुदाय को ध्यान देने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि कोविड​​​​-19 महामारी सिर्फ एक अप्रत्याशित संकट है और इसके अतिरिक्त कई और चुनौतियां भी हैंI इसके लिए सीएसआईआर जैसे संस्थानों को किसी भी अप्रत्याशित और अचानक सामने आई समस्या से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। श्री नायडु ने जोर देकर कह कि, “सीएसआईआर की प्रत्येक प्रयोगशाला को नई अनुसंधान परियोजनाओं पर एक ऐसी स्पष्ट कार्य योजना (रोडमैप) के साथ आना चाहिए जो विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने और मानवता की व्यापक भलाई में योगदान करने का प्रयास करती है।”

यह उल्लेख करते हुए कि भारत ने विज्ञान की दुनिया में अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, महासागर विज्ञान अथवा रक्षा अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उन्होंने कहा कि जब राष्ट्र स्वतंत्रता के 75 वर्ष मना रहा है तब यह देखने का एक उपयुक्त समय है कि हम कैसे इस समय चल रहे विकास कार्यों में तेजी ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान का अंतिम उद्देश्य लोगों के जीवन को बेहतर बनाना और उनके जीवन को आरामदायक बनाना होना चाहिए।

कुछ मापदंडों और स्रोतों के आधार पर शोध प्रकाशनों के मामले में भारत के दुनिया में तीसरे स्थान पर रहने के लिए उपराष्ट्रपति ने वैश्विक वैज्ञानिक अनुसंधान में भारत की स्थिति को लगातार आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की सराहना की।

यह देखते हुए कि भारत में अनुसन्धान एव विकास (आर एंड डी) में उद्योगों द्वारा किया गया निवेश महत्वहीन था, श्री नायडू ने कॉरपोरेट्स और उद्योगों से प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने, महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं की पहचान करने और उनमें निवेश करने का आग्रह किया । उन्होंने कहा कि, “इससे न केवल वित्तपोषण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि गुणवत्ता और नवाचार दोनों में सुधार होगा।”

यह बताते हुए कि कोविड-19 ने वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के बावजूद दुनिया को प्रभावित कर दिया है, उन्होंने कहा कि ” यह विषाणु (वायरस) समूचे विश्व में खतरनाक तरीके से फ़ैल गया और अब लाखों लोगों को संक्रमित करने के बाद हजारों लोगों की जान भी ले रहा है”।

महामारी के खिलाफ लड़ाई में धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ देश की लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए वैज्ञानिक और चिकित्सा बिरादरी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने निदान, टीके, दवाएं, अस्थायी अस्पताल और चिकित्सा सहायक उपकरण विकसित करने के लिए अथक प्रयास किया है ।

भारत द्वारा दुनिया में सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को चलाए जाने का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “तथ्य यह है कि हमने टीके की 85 करोड़ खुराक दे दी हैं जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।” उन्होंने कहा कि इसमें काफी हद तक भारत के स्वदेशी (वैक्सीन)-, कोवैक्सिन और भारत में निर्मित कोविशील्ड जैसे अन्य टीकों से बहुत सहायता मिली। उन्होंने कहा कि “मुझे इस आवश्यकता के समय कार्य के लिए तत्पर होने और देश में टीकों की भारी मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन में तेजी लाने के लिए वैक्सीन निर्माताओं की सराहना करनी ही होगी”।

युवा वैज्ञानिकों को पुरस्कार प्रदान करते हुए उपराष्ट्रपति ने स्कूली बच्चों के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के नवाचार पुरस्कार (इनोवेशन अवार्ड) विजेताओं सहित विभिन्न पुरस्कारों के विजेताओं की सराहना की।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यदि हमें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना है तो वह चाहेंगे कि सीएसआईआर और सभी विज्ञान विभाग इसके लिए विचार-मंथन करें और अगले दस वर्षों में इसके लिए आवश्यक विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचारों का एक ब्लू प्रिंट बनाकर लाएं। मंत्री महोदय ने कहा कि “हमें अपनी महत्वाकांक्षा को केवल भारत में सर्वश्रेष्ठ होने तक ही सीमित नहीं रखना है बल्कि हमें दुनिया में सर्वश्रेष्ठ होना होगा”। डॉ जितेंद्र सिंह ने रेखांकित किया कि भारत के पास युवाओं का प्रकृति प्रदत्त जनसांख्यिकीय लाभांश है और वे सही प्रशिक्षण और प्रेरणा के साथ किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्कूली बच्चों के लिए सीएसआईआर नवाचार पुरस्कार (इनोवेशन अवार्ड) के विजेताओं में कुछ नया करने की ललक को देखकर वह वास्तव में प्रसन्न हैंI उन्होंने आगे कहा किभविष्य में ये सभी उद्यमी, उद्योग जगत के नेता, वैज्ञानिक और प्रोफेसर होंगे।

इस अवसर पर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार श्री के. विजय राघवन, सीएसआईआर के महानिदेशक श्री शेखर सी मांडे और सीएसआईआर-मानव संसाधन विकास समूह (एचआरडी) प्रमुख श्री अंजन रे , वरिष्ठ वैज्ञानिक, शोधकर्ता और पुरस्कार विजेता उपस्थित थे।

 

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