आप बहुत याद आएंगे बी जी भाई

राजेंद्र सजवान

भारतीय खेलों पर सरसरी नज़र डालें तो एक भी ऐसा ओलम्पिक खेल नहीं जिसके बारे में सही और सटीक जानकारी किसी के पास उपलब्ध हो। हाँ, क्रिकेट के शुरू से लेकर आज तक के तमाम रिकार्ड मिल जाएँगे। लेकिन किसी अन्य भारतीय खेल को ऐसा सौभाग्य प्राप्त नहीं है। ले देकर हॉकी ही थी , जिसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी बीजी जोशी के पास उपलब्ध थी ।

अब उनके जानेके बाद हॉकी की दुर्लभ जानकारियाँ देने वाला कोई नहीं बचा। 67 वर्षीय जोशी जी का कोरोना के चलते निधन हो गया है और इस प्रकार एक भरोसे का लेखक,पत्रकार और आंकड़ेबाज दुनिया छोड़ गया।

जोशी हॉकी के बड़े जानकार तो थे ही एक सुलझे हुए लेखक और आँकड़ाविद भी थे। उनके आँकड़े इस कदर सटीक थे की अनेकों बार हॉकी फ़ेडेरेशन को भी अपने रिकार्ड में सुधार करने पड़े। पेशे से इंजीनियर जोशी के पास मेजर ध्यानचन्द युग से लेकर अब तक के सभी हॉकी आयोजनों, मुकाबलों, खिलाड़ियों और खेल मैदानों की जानकारी उपलब्ध थी।

ओलम्पिक में भारत ने पहला मैच कब और किसके विरुद्ध खेला, किसने पहला गोल जमाया, किस खिलाड़ी ने सर्वाधिक गोल किए, किसने पेनल्टी कार्नर पर अधिकाधिक गोल दागे, किस देश ने ओलम्पिक में सबसे ज़्यादा मैच खेले। और जीते, कौन सबसे ज़्यादा मुक़ाबले हारा और किसने विश्व कप, एशियाड और कामनवेल्थ में कितने मुक़ाबले जीते, हारे और ड्रॉ खेले जैसे आँकड़े उनके पास उपलब्ध रहे।

जोशी ना सिर्फ़ एकमात्र हॉकी विशेषज्ञ और आँकड़ेबाज थे , भारतीय सिने जगत के बारे में भी उन्हें बड़ी जानकारी थी। जिस प्रकार देश और दुनिया के तमाम हॉकी खिलाड़ियों को जानते पहचानते थे और उनके बारे में हर छोटी बड़ी जानकारी रखते थे, ठीक इसी तरह भारतीय फिल्मों, फिल्मी कलाकारों और फिल्मी गानों पर भी उनकी पकड़ अभूतपूर्व थी। सबसे बड़ी बात यह है कि वह हॉकी ज्ञान का भंडार होने के साथ साथ बेहद विनम्र, मृदुभाषी और नेक इंसान थे| उनसे जब कभी मिलना हुआ तो वह बड़े भाई समान नज़र आए।

सरदार बलबीर सिंह सीनियर, कर्नल बलबीर, अजित पाल,सिंह, अशोक ध्यान चन्द, नामी कमेंटेटर जसदेव सिंह, आर पी सिंह, असलम शेर ख़ान आदि चैम्पियनों ने अनेकों बार भारतीय हॉकी की दयनीय दशा का एक बड़ा कारण यह भी बताया कि हॉकी फ़ेडेरेशन के पास रिकार्ड तक उपलब्ध नहीं हैं।

अशोक ध्यान चन्द और असलम शेर ख़ान के अनुसार अकेले बीजी जोशी ने हॉकी जानकारियों को बचाए रखा। बेशक, यह सौ फीसदी सच भी है। देश के किसी भी बड़े छोटे अख़बार या टीवी चैनल को जब कभी भारतीय और विश्व हॉकी के बारे में जानकारी की ज़रूरत पड़ी, सबने बीजी को याद किया।

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्ले और पूर्व कोच हरेन्द्र सिंह ने उनके के जाने को व्यक्तिगत क्षति बताया है। धनराज ने अपने शोक संदेश में कहा कि बीजी के पास उनके बारे में इतनी जानकारी उपलब्ध थी जितनी वह खुद भी नहीं जानते थे। तारीफ़ की बात यह भी है कि कई विदेशी पत्रकार और लेखक भी उनके आँकड़ों को विश्वसनीय मानते थे और एफआईएच भी उन पर विश्वास करता था। रेडियो, टीवी और हिन्दी अँग्रेज़ी के समाचार पत्र सिर्फ़ और सिर्फ़ उनके आँकड़ों को सम्मान देते रहे। | उनके बाद कौन? यह सवाल उनके जीते जी पूछा जाता रहा और अब जवाब शायद ही मिल पाए।

 

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