कब और क्यों किया गया सीबीआई का गठन, क्या करती है सीबीआई, जानें…
शिवानी रज़वारिया
2 महीनों से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी लोग सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे थे क्योंकि सुशांत सिंह की आत्महत्या का मामला दिन पर दिन उलझता जा रहा था, और नई नई कहानियां सामने आ रही थी। क्यों हो रही थी सीबीआई जांच की मांग, क्यों है लोगों का भरोसा सीबीआई पर? आखिर सीबीआई है क्या, क्या काम करती है, विस्तार से आपको बताते हैं।
सीबीआई भारत की एक प्रमुख जांच एजेंसी हैं जिसे भ्रष्टाचार एवं घोटालों की विशेष जांच के लिए गठित किया गया था सीबीआई भारत की सर्वोच्च जांच एजेंसी है जो अपनी उदयता, निष्पक्षता सत्यता के लिए जानी जाती है इसी कारण किसी भी गंभीर आपराधिक मामले में सीबीआई जांच को प्रमुखता दी जाती हैं।
सीबीआई की स्थापना
भारत सरकार द्वारा सर्वप्रथम सन 1941 में सीबीआई का गठन किया गया था जिसे विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के रूप में जाना जाता था। विशेष पुलिस प्रतिष्ठान को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय युद्ध और आपूर्ति विभाग में लेनदेन में घूसखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने के लिए बनाया गया था। उस वक्त यह एजेंसी युद्ध विभाग के अधीन कार्यरत थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद
जब विश्व युद्ध की समाप्ति हो गई तब केंद्र सरकार की कर्मचारियों से संबंधित घूसखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों के लिए केंद्रीय सरकार की एक एजेंसी की जरूरत महसूस की गई और इसी के तहत सन 1946 में “दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम” को लागू किया गया। इस अधिनियम के तहत दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (Delhi Special Police establishment ) को गृह विभाग के अधीन लाया गया।
एजेंसी के अधिकार क्षेत्र के दायरों को भी बढ़ाया गया। भारत सरकार के सभी विभागों और सभी संघ शासित राज्यों में इसके क्षेत्राधिकार का विस्तार किया गया और इसी तरह धीरे-धीरे एजेंसी का दायरा बढ़ता गया।
दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान से सीबीआई
दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान को लोकप्रिय नाम केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो 1 अप्रैल 1963 को गृह मंत्रालय संकल्प द्वारा दिया गया जिसे सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन या सीबीआई के नाम से जाना जाता है।
सीबीआई के अंतर्गत आने वाले मामले
आरंभ में यह एजेंसी केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा हो रहे भ्रष्टाचार और घोटालों के मामलों की जांच के लिए ही बनाई गई थी। पर आगे चलकर बड़े पैमाने पर सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना होने से सरकारी कर्मचारियों को भी सीबीआई की जांच में लाया गया। 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण होने के बाद सरकारी क्षेत्र के बैंकों और उनके कर्मचारियों को भी सीबीआई जांच में शामिल किया गया। सीबीआई को आर्थिक अपराधों के साथ, हत्या, अपहरण, आतंकवादी अपराध जैसे मामलों की जांच का काम भी सौंपा जाने लगा।